कोरोना ने पूंजीवाद को सिरे से विफल साबित कर दिखाया
-राजीव मित्तल
विश्व के पटल से सोवियत संघ को विदा हुए 30 बरस हो गए और तभी से चीन, ईरान, अफगानिस्तान और क्यूबा और दो चार देशों को छोड़ कर सारी दुनिया पर केवल अमेरिका का दबदबा छाया हुआ है..लेकिन आज कोरोना महामारी ने अमेरिका और सारे यूरोप को बेचारा बना कर रख दिया है जबकि मार्क्सवादी शासन की सुप्रीमेसी साबित कर दी है...
चीन में सबसे पहले कोरोना आया, जहां इस महामारी से निपटने का कोई अनुभव नहीं था...इलाज तो छोड़िये राहत की कोई दवाई नहीं थी लेकिन साम्यवादी शासकों ने लॉकडाउन किया.. सख्ती से लागू किया.. स्वास्थ्य व्यवस्था अच्छी की..वुहान शहर को ही नहीं, पूरे हुबेई प्रान्त को बाकी चीन से काट कर उसकी सुरक्षात्मक घेराबंदी कर वहां देशभर से डॉक्टर बुलवा लिये.. सघन टेस्टिंग की सघन इलाज किया और 78 दिन बाद कोरोना से बाहर आ गये..बस, जो संक्रमण फैला, वो वुहान तक सीमित रहा, जो मौतें हुईं वुहान तक सीमित रहीं.. न किसीकी नौकरी गयी न अर्थव्यवस्था डूबी न भगदड़ मची.. अब हालात पूरी तरह नियंत्रण में हैं..बाकी चीन में सब कुछ सामान्य है.. गाडी पूरी तरह पटरी पर आ गई है..तो जी ये कमाल है साम्यवादी शासन का..
क्यूबा अमेरिका से लगा एक पिद्दी से देश है, जहां साम्यवाद आने पर महाशक्ति अमेरिका की नींद हराम हो गयी थी..आज उसी देश के डॉक्टरों की पूरे दक्षिण अमेरिका महाद्वीप के देशों में जबरदस्त डिमांड है..वियतनाम में कोरोना से शायद ही दो चार मौतें हुई हों, लेकिन अमेरिका को दसियों साल चले युद्ध में मात देने वाले एशिया के इस छोटे से देश ने कोरोना को हर कोने में परास्त किया..जबकि यूरोप के बाकी देशों की राह पर चल रहे रूस का हाल भी अमेरिका जितना ही खराब है..
अब आइये अपने देश में..केरल भारत का ही हिस्सा है.. सबसे पहले कोरोना केरल में आया..राज्य के साम्यवादी शासन ने अच्छी तरह से सब कुछ मैनेज किया.. किसी समुदाय विशेष को जिम्मेदार नहीं ठहराया..स्वस्थ्य सेवा को बेहतर बनाया..उसके लिए इस सबसे छोटे राज्य ने 20 हज़ार करोड़ पहले ही अलग से रख दिया. सारे राज्य की जनता के लिए भोजन की कमी नहीं होने दी.. और कोरोना को कंट्रोल कर लिया.. आज भारत में सबसे अच्छी स्थिति केरल की है..तो ये कमाल है साम्यवादी शासन का..
दस वर्ष पहले तक के पश्चिम बंगाल में साम्यवादी शासन था..अगर आज वहां कम्युनिस्टों का शासन होता तो केरल की तरह अच्छी तरह कोरोना को कंट्रोल कर लिया होता.. साम्यवाद में कुछ ऐसा जादू तो होता है, जो पूंजीवादी देशों को समझ में नहीं आता है.. कोई तो कारण होगा कि पूंजीवाद की क्रूरताओं से दो दो हाथ करने को दुनिया के हर देश में कम्युनिस्ट पार्टी है.. अमेरिका में भी अश्वेत नागरिकों पर हो रहे अत्याचार का विरोध करने में सबसे आगे कम्युनिस्ट ही रहे हैं..
उत्तर कोरिया के शासक को पागल घोषित करने के लिए अमेरिका ने क्या क्या नहीं किया!! हमारे गोदी मिडिया में आये दिन किम जोन उंग को क्रूर पागल शासक घोषित करने के लिए स्टोरी चलती रहती है.. लेकिन कोरोना ने उसे बुद्धिमान साबित कर दिया.. उत्तर कोरिया में कोरोना ने दस्तक भी नहीं दी, दरवाज़ा तोड़ने की तो छोड़िए.. ..उसको पागल साबित करनेवाला अमेरिका और ट्रंप का हाल देखिए, सर्कस के जोकर लग रहे हैं..
भारत की जनता जितना जल्द साम्यवादी विचारधारा का स्वीकार कर लेगी उतना जल्द शांति सुख चैन अमन होगा इस देश में.. तय आपको करना है मार्क्सवाद चाहिए या दमनकारी फासीवाद, विभाजनकारी जातिवाद या शोषणखोर पूंजीवाद!!
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