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Monday, June 29, 2020

लोकल के लिए वोकल बनो: देश की लोकल मोबाइल कंपनियों का क्या हुआ?



-गिरीश मालवीय
कल यह खबर खूब चर्चा में रही कि पीएम केयर्स में चीनी मोबाइल कंपनियों ने बढ़ चढ़कर चंदा दिया है इस बात से मुझे याद आया कि अपने देश की लोकल मोबाइल कंपनियों का क्या हुआ? जिन्हें शार्ट फार्म में MILK कहा जाता था यानी इन कंपनियों के नाम के पहले अक्षर : माइक्रोमैक्स, इंटेक्स, लावा और कार्बन. 'लोकल के लिए वोकल बनो' यह हमारे प्रधानमंत्री कह रहे हैं पर वे ये बताए कि माइक्रोमैक्स कंपनी जो  2015-16 में भारतीय मार्केट में इतना अच्छा परफार्मेंस दे रही थी आज वो कम्पनी कहा है ?

आज आपको चीनी मोबाइल कंपनी  Xiaomi-10 करोड़, Huawei- 7 करोड़, One Plus-1 करोड़, Oppo-1 करोड़  पीएम केयर्स में दे रही है तो उन्हें आपने कुछ एक्स्ट्रा हेल्प की होगी तभी तो दे रही है मोबाइल इंडस्ट्री के जानकार लोगो को पता है कि दरअसल देश मे दो बड़े चाइनीज ग्रुप ने भारत के लगभग पूरे स्मार्टफोन मार्केट को कब्जे में कर लिया 2019 में भारत के 72 फीसद स्मार्टफोन बाजार पर चीनी ब्रांड का दबदबा रहा। सालभर पहले इसका स्तर 60 फीसद था। इसमें से अकेले 37 फीसद बाजार पर बीबीके ग्रुप का कब्जा है। ओप्पो, वीवो, रीयलमी और वनप्लस ब्रांड की मूल कंपनी बीबीके ही है। इसकी प्रतिद्वंद्वी कंपनी श्याओमी अपने रेडमी और पोको ब्रांड के साथ 28 फीसद बाजार पर काबिज है।

कूलपैड पहले माइक्रो मैक्स को सपोर्ट करती थीं लेकिन अब वह खुद भारतीय मार्केट में उतर गई है साल 2017-18 तक भारतीय मोबाइल बाजार में घरेलू कंपनी माइक्रोमैक्स की अच्छी-खासी पकड़ थी। लोग माइक्रोमैक्स के फीचर से लेकर स्मार्टफोन तक खरीदते थे, लेकिन बाद में चाइनीज कंपनियों के दबदबे के बाद माइक्रोमैक्स बाहर हो गया , इंटेक्स, लावा और कार्बन भी मार्केट से आउट हो गयी, तब भी हमारे लोकल के लिए वोकल बनो कहने वाले प्रधानमंत्री ही गद्दी पर बैठे थे अब लगभग चारो बड़ी कम्पनिया स्मार्टफोन मार्केट से गायब हो गयी है इसका जिम्मेदार कौन हैं बताइये? और स्मार्टफोन तो छोड़िए फीचर फोन मार्केट से भी धीरे धीरे भारतीय कम्पनिया बाहर हो रही हैं। 


फीचर फोन बाजार में भी चीनी कंपनियां तेजी से अपनी स्थिति मजबूत कर रही हैं। जनवरी-मार्च 2019 में इन कंपनियों की फीचर फोन बाजार में हिस्सेदारी महज 17 फीसदी थी लेकिन इस साल की समान अवधि में यह बढ़कर 33 फीसदी पर जा पहुंची है। यह हालत कर दी है भारत के मोबाइल मार्केट की हैशटैग #vocalforlocal का अभियान चलाने वालों ने ! अब जिसको पीछे से असली सपोर्ट मिल रहा है वो तो पीएम केयर्स में चंदा देगा ही न !

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