पहले EMI में राहत के नाम पर धोखा, अब महंगे पेट्रोल-डीजल की मार, कब तक चलेगा ये अत्याचार?
-धीरज फूलमती सिंह
प्रधान मंत्री राहत कोष से राजीव गांधी फाउंडेशन को रुपये ट्रांसफर करना गलत है तो बाक़ायदा पुलिस केस दर्ज क्यो नही की जा रही है? कोर्ट की मदद क्यो नही ली जा रही है? सीबीआई से जांच क्यो नही करवाई जा रही है? किसी मुहूर्त का इंतजार क्यो किया जा रहा है? और प्रधान मंत्री राहत कोष से रूपये ट्रांसफर करना गलत नही है तो फिर यह शोर मचा कर जनता को भ्रमित करने का प्रयास क्यो किया जा रहा है? अगर गलत है तो कार्यवाही करो अन्यथा फिर चुप रहो। कम से कम कन्फयूजन की कोई बात तो न रहेगी? बदले की राजनीति तो मत करो!
भारत मे कोरोना संकट शुरू होते ही केद्र सरकार ने देश में लॉक डाउन कर दिया। न कोई बाहर जा सकता था, ना कोई बाहर से आ सकता था। व्यवसाय भी बंद कर दिये गये। इसी दरम्यान केद्र सरकार ने बडा दिल दिखाते हुए अगले तीन महीने की हाउसिंग लोन की किस्त में राहत की घोषणा कर दी। फिर लॉक डाउन दो की शुरुआत हुई तो सरकार ने यह सुविधा अगस्त 2020 तक के लिए बढा दी मतलब अगले 6 महीने के लिए। भारत का मध्यम वर्ग तो गदगद हो गया। मोदीजी की जय जय कार करने लगा।
मध्यम वर्ग को अब जाकर समझ आया है कि वो तो सिर्फ सांत्वना देने का ड्रामा था। दस लाख से ज्यादा हाउसिंग लोन लेने वालो को यह पैसे चक्रवृद्धी ब्याज के साथ लौटाने पडेंगे। आप को जानकर हैरानी होगी कि भारत मे कुछ हाउसिंग लोन में दस लाख से अधिक लोन लेने वालों का कुल प्रतिशत 97% है,मतलब की सिर्फ 3% को फौरी तौर पर राहत दी गई है, बाकी के 97% को मूर्ख बनाया गया है। मै भी सोचूं एक बनिये का दिल इतना बड़ा कैसे हो गया? अब सच्चाई धीरे- धीरे समझ में आ रही है।
दूसरी तरफ आज पेट्रोल और डीजल के दाम चोरी-छुपे बेतहाशा बढ़ रहे हैं। डीजल तो पेट्रोल से भी आगे निकल गया है। जो आजादी के बाद आज तक ऐसा नही हुआ था। आने वाले समय में हम अपने पोतों-पोतियो को इस चमत्कार और ज्यादती की कहानी सुनाया करेंगे। केद्र सरकार के समर्थक कह रहे हैं कि तीसरे विश्वयुद्ध की आशंका नजर आ रही है तो ऐसे मे भविष्य में हमे अच्छे हथियारों की जरूरत होगी और उन्हे खरीदने के लिए जरूरी रकम पेट्रोल और डीजल के बढे हुए दामों से वसूल सकते हैं, लेकिन पेट्रोल और डीजल की कीमतों में तो राज्य सरकारों का भी हिस्सा होता है लेकिन राज्य सरकार देश के लिए हथियार नही खरीदती है, फिर यह बेतहाशा वृद्धि क्यों? वह भी तब जब आज क्रूड ऑयल बहुत सस्ता हो गया है और युद्ध काल में सुरक्षित रहने के लिए हमारे पास अगले आठ महीने के लिए सरप्लस ऑइल है,फिर तब यह हाय तौबा क्यों मचाई जा रही है ? दाम बेमतलब के क्यो बढ़ रहे हैं?
युद्ध काल की स्थिति तो पाकिस्तान में भी बन रही है। चीन, जापान, ऑस्ट्रेलिया में भी बन रही है तो क्या पेट्रोल और डीजल के दाम वहा भी बढ रहे हैं? डीजल के दाम में बढोतरी तो सीधे-सीधे भारत के विशालकाय मध्यम वर्ग और निम्न आय वर्ग के घरेलू मासिक बजट को प्रभावित करेंगे फिर यह अत्याचार क्यों?
मुझे एक और बात कहनी थी कि कुछ दिनों से नून, तेल, मसाला लेकर हर भाजपा समर्थक कॉंग्रेस के पीछे पड गया है क्यो कि उनके आक़ा राहुल गांधी जी ने भारतीय सेना और सरकार के लिए गैर जिम्मेदाराना बयान देकर बवाल खडा कर दिया है। भारत का संपूर्ण विपक्ष जहा सरकार के साथ खडा है, ऐसे में राहुल गांधी जी विरोध करने के लिए अलग ही धुन बजा रहे हैं, इसे देश भक्ति तो कतई नही कहेंगे, एक अच्छे विपक्ष के कार्य का निर्वाह भी नहीं कर रहे हैं। यहा तक तो मैं सहमत हूँ लेकिन उनकी आवाज दबाने के लिए एक काट तैयार कर ली गई है कि मनमोहन सिंह जी के समय प्रधान मंत्री राहत कोष से राजीव गांधी फाउंडेशन को कुछ करोड रुपये ट्रांसफर हुए है।
प्रधान मंत्री राहत कोष से राजीव गांधी फाउंडेशन को रुपये ट्रांसफर करना गलत है तो बाक़ायदा पुलिस केस दर्ज क्यो नही की जा रही है? कोर्ट की मदद क्यो नही ली जा रही है? सीबीआई से जांच क्यो नही करवाई जा रही है? किसी मुहूर्त का इंतजार क्यो किया जा रहा है? और प्रधान मंत्री राहत कोष से रूपये ट्रांसफर करना गलत नही है तो फिर यह शोर मचा कर जनता को भ्रमित करने का प्रयास क्यो किया जा रहा है? अगर गलत है तो कार्यवाही करो अन्यथा फिर चुप रहो। कम से कम कन्फयूजन की कोई बात तो न रहेगी? बदले की राजनीति तो मत करो!
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