कोरोना की दवा पर विवाद: बाबा रामदेव की 'कोरोनिल' से परेशानी किसे है?
- मनोरंजन कुमार तिवारी
ऐसा लगता है कि बाबा रामदेव ने कुछ लोगों पर "कोरोनिल" नामक मिसाइल से हमला कर दिया है..कुछ लोग इस हमले में घायल हो कर तड़प रहे है। अमेरिका, WHO से लेकर बिल गेट्स तक और दुनिया भर के मेडिसिन बनाने वाली कंपनियों की नजर भारत के बाज़ार पर थी जो बड़ी प्लानिंग और भूमिका बना कर भारत में मोटा मुनाफा कमाने के सपने देख रहे थे जो एक झटके में ध्वस्त हो चुका है। उन कंपनियों के एजेंटों में हाहाकार मच गई है। ऐसा नहीं है कि दवा कंपनियों के एजेंटों को ही तगड़ा झटका लगा है, बल्कि कुछ ऐसे लोगों को भी गुस्सा आ गया है कि साला हम तो फालतू में ही लम्बी - लम्बी पोस्ट लिखते रह गए और यह मुर्ख बाबा करोड़ों का मामला फिट कर गया।
किसी की तारीफ करो तो कुछ लोग बुरा मान जाते हैं लेकिन बाबा रामदेव ने अपनी टाइमिंग से सबको चित कर दिया है। आयुष मंत्रालय ने बाबा की नकेल खींचने की कोशिश करते हुए कहा है कि बिना हमारी हिस्सेदारी तय किये आगे बढ़ने की सोचना भी मत। वैसे सच तो यह है कि यह कोरोना संक्रमण फैल तो रहा है तेजी से मगर स्वस्थ व्यक्ति इससे असानी से रिकवर भी हो जा रहे है, ऐसे में अब सारा खेल ही चिकित्सा क्षेत्र के व्यापारियों का हो चुका है, कोरोना अब आपदा नहीं बल्कि बहुत बड़े अवसर के रूप में सामने आ चुका है दवा कंपनियों और इसके व्यापारियों के लिए, ऐसे में अब मेडिसिन के बाज़ार का जो ज्यादा बड़ा खिलाड़ी होगा वह माल कमाएगा।
मुझे बाबा के कोरोनिल टैब्लेट से कोई प्रॉब्लम नहीं है बशर्ते वे आयुष मंत्रालय को उनकी हिस्सेदारी सुनिश्चित कर दे।आयुष मंत्रालय द्वारा रोक लगाने के बावजूद होमियोपैथिक दवा Arsenicum Album 30CH बाजार में खूब बिकी है "कोरोना नहीं होगा इसे पीने से" बोल कर और तो और मुंबई महानगर पालिका और कम्पनियों ने भी थोक के भाव में बांटा है इसे सिर्फ एक भ्रमयुक्त हौसला बढ़ाने के लिए, cipla ने Remdevir दवा को उतारा है कोरोना के लिए, इन दवाइयों का भी कोई प्रमाण नहीं है कि कोरोना मरीज इससे ठीक हो ही जाता है, तो रामदेव बाबा के अयूर्वेदिक दवाई में क्या प्रॉब्लम है? अयुर्वेदिक दवा कुछ ना भी करेगा तो इम्यून सिस्टम को जरूर मजबूत करने का काम करेगा ही।
बाबा रामदेव ने बहुत सोच समझ कर अपनी दवा को लॉन्च किया है, उन्हे पता है कि भारत में जिस रफ्तार से कोरोना के केस आ रहा है और भारत के हॉस्पिटलों में कोरोना के नाम पर जो लूट मची है, ऐसी परिस्थिति में लाखों मरीज ऐसे होंगे जो हॉस्पिटल जाएँगे ही नहीं, यही लाखों मरीज बाबा के निशाने पर है क्योंकि हॉस्पिटल वाले मरीज तो डॉक्टरों के प्रिस्क्रिप्शन के अनुसार वो महँगी एलोपैथिक दवाइयों का ही सेवन करेंगे लेकिन जो लाखों लोग हॉस्पिटल जाएँगे ही नहीं वे बाबा के शरण में जाएँगे... डरने की जरूरत नहीं है, उनमें से बहुत लोग ठीक भी होंगे, बाबा रामदेव और पतंजलि का यश बढ़ेगा... हमको कोई घाटा नहीं है। हमारी स्वयं की कोई दवा बनाने की कम्पनी होती तो हम जरूर बाबा रामदेव के कोरोनिल का विरोध करते।
किसी की तारीफ करो तो कुछ लोग बुरा मान जाते हैं लेकिन बाबा रामदेव ने अपनी टाइमिंग से सबको चित कर दिया है। आयुष मंत्रालय ने बाबा की नकेल खींचने की कोशिश करते हुए कहा है कि बिना हमारी हिस्सेदारी तय किये आगे बढ़ने की सोचना भी मत। वैसे सच तो यह है कि यह कोरोना संक्रमण फैल तो रहा है तेजी से मगर स्वस्थ व्यक्ति इससे असानी से रिकवर भी हो जा रहे है, ऐसे में अब सारा खेल ही चिकित्सा क्षेत्र के व्यापारियों का हो चुका है, कोरोना अब आपदा नहीं बल्कि बहुत बड़े अवसर के रूप में सामने आ चुका है दवा कंपनियों और इसके व्यापारियों के लिए, ऐसे में अब मेडिसिन के बाज़ार का जो ज्यादा बड़ा खिलाड़ी होगा वह माल कमाएगा।
मुझे बाबा के कोरोनिल टैब्लेट से कोई प्रॉब्लम नहीं है बशर्ते वे आयुष मंत्रालय को उनकी हिस्सेदारी सुनिश्चित कर दे।आयुष मंत्रालय द्वारा रोक लगाने के बावजूद होमियोपैथिक दवा Arsenicum Album 30CH बाजार में खूब बिकी है "कोरोना नहीं होगा इसे पीने से" बोल कर और तो और मुंबई महानगर पालिका और कम्पनियों ने भी थोक के भाव में बांटा है इसे सिर्फ एक भ्रमयुक्त हौसला बढ़ाने के लिए, cipla ने Remdevir दवा को उतारा है कोरोना के लिए, इन दवाइयों का भी कोई प्रमाण नहीं है कि कोरोना मरीज इससे ठीक हो ही जाता है, तो रामदेव बाबा के अयूर्वेदिक दवाई में क्या प्रॉब्लम है? अयुर्वेदिक दवा कुछ ना भी करेगा तो इम्यून सिस्टम को जरूर मजबूत करने का काम करेगा ही।
बाबा रामदेव ने बहुत सोच समझ कर अपनी दवा को लॉन्च किया है, उन्हे पता है कि भारत में जिस रफ्तार से कोरोना के केस आ रहा है और भारत के हॉस्पिटलों में कोरोना के नाम पर जो लूट मची है, ऐसी परिस्थिति में लाखों मरीज ऐसे होंगे जो हॉस्पिटल जाएँगे ही नहीं, यही लाखों मरीज बाबा के निशाने पर है क्योंकि हॉस्पिटल वाले मरीज तो डॉक्टरों के प्रिस्क्रिप्शन के अनुसार वो महँगी एलोपैथिक दवाइयों का ही सेवन करेंगे लेकिन जो लाखों लोग हॉस्पिटल जाएँगे ही नहीं वे बाबा के शरण में जाएँगे... डरने की जरूरत नहीं है, उनमें से बहुत लोग ठीक भी होंगे, बाबा रामदेव और पतंजलि का यश बढ़ेगा... हमको कोई घाटा नहीं है। हमारी स्वयं की कोई दवा बनाने की कम्पनी होती तो हम जरूर बाबा रामदेव के कोरोनिल का विरोध करते।
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