Feature 2

Friday, June 12, 2020

'सड़क पर हज़ारों की संख्या में निश्चिंतता का घूमना मुझे आजकल सबसे डरावना लगता है'

-कंचन सिंह चौहान

लिफ़्ट के बाहर चिपका कागज़ '3 people only' पता नहीं फट गया या फाड़ दिया गया।  लिफ्ट में लोगों के घुसने की होड़ लगी होती है। कल मैंने दो बार लिफ्ट को जाने दिया कि भरी हुई है। तीसरी बार लिफ्ट में घुसी तो मेरे पीछे चार लोग और घुस गए। मैंने कहा, "सर तीन लोगों का रहना सुरक्षित है। आप में से कोई दो उतर जाएं या मैं ही निकल जाती हूँ"..."आप रहिये मैडम" किसी एक ने कहा लेकिन अपनी जगह से हिला कोई नहीं। मैं लिफ्ट से निकल आई। 

दोबारा वेट करने लगी। इस बार मैं लिफ्ट में घुसने के बाद ही एक्टिव थी। मैं दरवाज़े पर रही और कहा, "सिर्फ़ दो लोग प्लीज़" दो लोग आ गए लिफ्ट चल दी 6ठी मंजिल पर लिफ्ट रुकी। मास्क गले में लटकाए एक सज्जन ने घुसने का प्रयास किया मैंने लिफ्ट के बीच मे हाथ लगाते हुए कहा, "तीन लोग पहले से हैं सर" उसे शायद उम्मीद नहीं थी, उसने अचकचाते हुए कहा, "चार तो alloowd हैं।" "कहाँ लिखा है ?" मैंने पूछा वे चुप हो गए। लिफ्ट बढ़ गयी।

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आज मैं तैयार थी वेट ना करने को और अपनी बात कहने को। लिफ्ट में घुसते ही मैंने कहा, "सिर्फ़ तीन लोग प्लीज़" बाहर खड़े तीन लोगों में दो लोग अंदर आ गए। लिफ्ट चल दी। चौथी फ्लोर पर रुकी। एक सज्जन आने को तैयार थे। मैंने उनसे कहा, "सर पहले से यहाँ तीन लोग हैं" 
उन्होंने मेरी बात को अनसुना किया और लिफ्ट में घुस गए। चौथी फ्लोर पर तो मैं बाहर भी नहीं निकल सकती।

लिफ्ट चल दी। मैंने बस फ्रस्टेशन मिटाने को कहा, "आपको नहीं आना चाहिए था सर।"
"चार लोग allowed हैं मैडम"
"चार नही तीन"
"तीन लोग बाहरी और एक लिफ़्ट मैन"
"कहाँ हुआ ऐसा स्पेसिफिकेशन ? वैसे भी लिफ्टमैन तो मुझे आज तक मिला नहीं लिफ्ट में।"

"सभी जा रहे हैं मैडम इतना पैनिक होने की ज़रूरत नहीं"

"सभी तो गले भी मिल रहे हैं। हाथ भी मिला रहे हैं। गोलगप्पे खा रहे, चाय पी रहे लेकिन ये सही तो नहीं है ना। ये तो हम सबकी सुरक्षा के लिए है। आपको नहीं पता कि मैं ही कौन सा वायरस ले कर घूम रही होऊँ।"लिफ्ट में खड़े दूसरे सज्जन ने कहा, "मैडम कह तो सही रहीं। आज ही फलानी जगह एक पॉजिटिव मिला। कोई सोच थोड़े सकता था कि वहाँ भी हैं" 8वीं मंजिल आ गयी थी। मैं निकल आयी।

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लौटते समय कार में बैठी तो व्हाट्सप्प बीप हुई। किसी परिचित ने एक आंटी का वीडियो भेजा था। आंटी कह रही थीं हम सफर में हैं। सफर में जिन लोगों ने टिकट नहीं खरीदा होता उन्हें डरने की ज़रूरत है। हमें टिकट खरीदना है। गरम पानी, गरम खाना, दालचीनी, हल्दी, कालीमिर्च, तुलसी" शायद मूड खराब था तो तुरन्त रियेक्ट कर गई," अरे यार इन आंटी से बोलो ये स्टाइल के साथ वीडियो बनाने का मैटर नहीं है। कोविड 19 अलग बात है। यहाँ टिकट ले कर भी बैठेंगे तो भी पेनाल्टी पड़ जाएगी।

तुलसी, दालचीनी, गरम खाना, गरम पानी पी कर अगर उस लिफ्ट में चढ़ गए जिसमें पहले से कोविड 19 संक्रमित थूक कर गया हो (unknowingly) तो सारे टिकट रखे रह जाते हैं। लिफ़्ट में एक साथ 6-6 लोग घुस रहे। मुझे लगता है कि ऐसी कोई दवा नहीं बनी जो संक्रमित के सम्पर्क में आने पर ढाल बन कर बचा ले और ऐसा कोई संक्रमण भी नहीं ये कि उड़ कर आ जाये।

रोज ऑफिस जाते हैं, वैसे ही इरिटेट हुए पड़े हैं ऊपर से ये पॉजिटिविटी और कॉन्फिडेंस वाले ज्ञान और मुँह चिढ़ा रहे। मैसेज सेंड पर क्लिक करने के बाद मुझे ख़ुद लगा कि मैंने ज़्यादा रियेक्ट कर दिया। मग़र सड़क पर हज़ारों की संख्या में निश्चिंतता का घूमना मुझे सबसे डरावना लगता है आजकल।

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