कोरोना काल: 80 दिन बाद घर से निकला, सड़क सूनी थी, हाई-वे में इक्का-दुक्का वाहन चल रहे थे
-शंभूनाथ शुक्ल
आज पूरे 80 दिनों बाद क़रीब 40 किमी गया और आया। ख़ुद गाड़ी चलाकर नोएडा और ग्रेटर नोएडा के दूसरे छोर तक गया। न किसी को टच किया, न बाहर कहीं कुछ खाया, पिया। काँच की बोतल में पानी घर से ले गया था, और डायजेस्टिव बिस्किट्स भी। सड़क सूनी थी। एक्सप्रेस हाई वे में इक्का-दुक्का वाहन चल रहे थे। इसलिए महामाया फ़्लाई ओवर से परी चौक तक गाड़ी पाँचवें गीयर में ही रही। जाते समय लू चल रही थी, फिर भी गाड़ी में एसी मैंने 25 पर ही फ़िक्स किया। पर लौटते वक्त मौसम मंदा हो गया और अब तो बौछार भी पड़ रही है। इतने दिनों के सन्नाटे ने हरियाली खूब बढ़ा दी है। प्रदूषण नाम का नहीं। लगा, कि विकास के नाम पर प्रदूषण को बढ़ा कर हमने कोरोना रूपी विनाश को ख़ुद न्योता है। अब कोरोना के विकास से सारे मंत्री, मुख्यमंत्री और हर छोटे-बड़े राजनीतिक दल के अति धनाढ्य राजनेता तो सुरक्षित हैं, लेकिन जनता, ख़ास तौर पर सामान्य मध्य वर्ग बहुत भयभीत है, वह घर से बाहर नहीं आ रहा। ऊपर से दिल्ली के उप मुख्यमंत्री मनीष सिसोदिया ने तो राजनीति के फेर में एक ऐसा ट्वीट कर दिया, जिसके चलते लोग बहुत पैनिक में हैं। उन्होंने ट्वीट किया है, कि “31 जुलाई तक दिल्ली में साढ़े पाँच लाख कोरोना पीड़ित होंगे।” इसके चलते लोग घबरा कर रो रहे हैं। जिस कोरोना की मृत्यु दर एक प्रतिशत नहीं थी, उसके एकदम से बढ़ जाने का अंदेशा पैदा हो गया है। उप महोदय! यह राजनीति का अवसर नहीं है, दिल्ली की जनता से माफ़ी माँगिए।
नोएडा में मैं अपने बैंक भी गया था। वहाँ सैकड़ों रेहड़ी-ठेली वाले भी खड़े थे, वे अपने वे दस हज़ार रुपए माँग रहे थे, जो केंद्र सरकार ने देने की घोषणा की है। मैनेजर बाबू सिर पकड़े बैठे थे, क्योंकि उनको कोई निर्देश नहीं मिला है। कुछ पत्रकार और संपादक साथी मिले, जो अब मीडिया हाउस छोड़ कर ग्रोसरी स्टोर खोलने की सोच रहे हैं। क्योंकि वेतन किसी का आधा रह गया, किसी का तिहाई और एकाध का चौथाई भी। कुछ की तो नौकरी ही चली गई है। मैंने उन्हें सुझाव दिया, कि अपने मीडिया हाउस के सामने रेहड़ी-ठेली लगाकर चाय, पकौड़ी और पान बेचा करें। अपनी रेहड़ी-ठेली में बैनर लगवा लें, जिस पर लिखा हो- “पढ़े फ़ारसी बेचें तेल, ये देखो क़िस्मत का खेल!”
लौटते वक्त गाड़ी का पॉल्यूशन चेक कराया। इसके बाद अपनी इनोवा कार पूरी सैनीटाइज की। एक पूरी शीशी इसी में ख़त्म हो गई। आकर सारे कपड़े धोए और खूब देर तक दोबारा स्नान किया।
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