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Thursday, June 11, 2020

लॉकडाउन के बाद हर चीज महंगी, लेकिन किसानों के उत्पाद सस्ते, यानी फिर किसान ही मारा जाएगा !

- राजेश यादव

2 दिन पहले बाजार की तरफ निकल गया और शोरूम में कुछ पैंट शर्ट पसन्द कर लिए। बिल बना 9285। कोई डिस्काउंट नहीं, जबकि लॉकडाउन से पहले ये शोरूम हर ब्रांड की खरीद पर 10% डिस्काउंट देता था। इस 10% के अलावा सेल वगैरह के कार्नर पर 30 से 50% डिस्काउंट मिल जाता था। buy one get one free वाला ऑफर भी कहीं दिखाई नही दिया। वजह 2 महीने की बंदी रही। अब शोरूम का किराया, छटनी के बाद बचे स्टॉफ की सैलरी वगैरह इसी तरह से एडजस्ट करनी है। 

दिमाग पर थोड़ा जोर डाला तो पाया कि हेयर कटिंग के भी दाम 30 से बढ़कर 50 हो चुके हैं। 6 रुपये वाला समोसा 8 में बिकने लगा है। लकड़ी रंगने वाला पेंट, बिजली के उपकरण,अंडरवियर - बनियान प्रिंट रेट में बिकने लगे हैं। अनलॉक 1 के बाद रेडीमेड, बिल्डिंग मैटेरियल,जूते, कॉस्मेटिक, रेस्टोरेंट जैसे प्रोडक्ट/बिजनेस सबके दामों में डेढ़ गुना वृद्धि हो चुकी है। हर छोटा और मझोला कारोबारी इसी तरह से अपना घाटा पूरा कर रहा है। 

अब तनिक किसानों के उत्पादों पर ध्यान दीजिए। लॉकडाउन के दौरान दूध के दाम घट कर आधे रह गए। फल और सब्जियां कभी इतनी सस्ती नही बिकीं। आज भी हमारे शहर में प्याज, टमाटर, लौकी, कद्दू 10-15 रु किलो, तोरई, भिंडी, आलू 20 रुपये किलो बिक रहा है। 

बड़े शहरों में मजदूर नही बचे नतीजन लेबर रेट बढ़ गया जबकि छोटे शहरों और गांवो में यही मजदूरी अब कम हो गयी। पंजाब में धान की रोपाई चल रही है। आलम ये है कि बड़े किसान मिनी बसों से यूपी बिहार के मजदूर डेढ़ गुनी मजदूरी का वायदा करके ले जा रहे हैं। 

बड़ी कम्पनियों ने लगभग 30% स्टॉफ की छुट्टी कर दी है। अब नई भर्ती भी कम से कम साल भर तक नही करेंगे। कुछ महिनों बाद बेरोजगारी और महंगाई के आंकड़े भयावह होने जा रहे हैं।

आउटलुक की रिपोर्ट है कि बिना किसी योजना के अचानक लगाए गए लॉकडाउन के दौरान भुखमरी, दुर्घटनाओं और आत्महत्या से कुल 742 मौतें हो चुकी हैं। इसकी जिम्मेदारी भी तय होनी चाहिए।

सुप्रीम कोर्ट ने RBI पर टिप्पणी करते हुए कहा है कि,एक तरफ तो RBI ने लॉकडाउन के दौरान ईएमआई में 6 माह की छूट देने की घोषणा की थी और दूसरी तरफ लोगो से इस अवधि का ब्याज भी मांगा जा रहा है। ये बेहद गम्भीर मामला है। वायदा करके मुकर जाना सरकार की अदा है। अब सरकार की सोहबत में रिजर्व बैंक भी जुमलेबाज हो गया।

अफसोस की बात है कि विपक्ष इन सब बातों को मुद्दा नही बना पाया। शायद इसी वजह पूरे लॉकडाउन के दौरान गायब रहने वाले गृहमंत्री जी विपक्ष से पूछ रहे हैं कि उसने क्या किया ? 

याद रखिये, बिना पूर्व तैयारी के लॉकडाउन या अब अनलॉक 1 का सबसे अधिक असर मिडिल क्लास पर ही होना है। गरीबों को चुनाव के समय बहलाने के लिए सरकार के पास बहुत से तरीके हैं। अमीरों के लिए लोन पैकेज है। NPA की सुविधा है। मिडिल क्लास के हिस्से में पिछले 6 सालों में व्हाट्सएप ज्ञान के अलावा क्या आया है ? कभी ये सवाल अपने आप से ही पूछियेगा। क्योंकि मीडिया मौन है, भक्त अंधे बहरे हैं और विपक्ष गूंगा है।

थोड़ा बेतरतीब लिखा है। शायद पढ़ने का फ्लो न बने इसलिए दोबारा फिर से पढिये। नोटबन्दी हो, जीएसटी हो या फिर बिना किसी तैयारी के अचानक लॉकडाउन हो। उसी तरह से बिना किसी तैयारी के सबको अनलॉक कर देना भी ऐसा ही है। लब्बोलुआब ये है कि फलाने हमेशा पहले पजामा पहनकर बाद में नाड़ा ढूंढते हैं और उनके फैसले पब्लिक के लिए मुसीबत बन जाते हैं। ये साबित हो चुका है !

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