महामारी में बैंकों की ये कैसी मोहलत? EMI पर ब्याज वसूल रहे हैं तो राहत किस बात की?
-गिरीश मालवीय
EMI पर ब्याज माफी के सिलसिले में आज फिर हम जैसे लाखो करोड़ो मिडिल क्लास लोगो को सुप्रीम कोर्ट ने निराश किया है गौरतलब है कि पिछली सुनवाई में कोर्ट ने कहा था कि आर्थिक पहलू लोगों के स्वास्थ्य से बढ़कर नहीं है. ये सामान्य समय नहीं हैं. एक ओर ईएमआई पर मोहलत दी जा रही है, लेकिन ब्याज में कुछ भी नहीं. यह ज्यादा नुकसान वाली बात है. इसी पर सुनवाई थी
दरअसल सुप्रीम कोर्ट में याचिका दाखिल कर कहा गया कि बैंक ईएमआई पर मोहलत देने के साथ- साथ ब्याज लगा रहे हैं जो कि गैर-कानूनी है. इसी याचिका पर सुप्रीम कोर्ट ने आरबीआई और केंद्र से जवाब मांगा था.
पहली सुनवाई में आरबीआई ने कहा था कि लोगों को 6 महीने का ईएमआई अभी न देकर बाद में देने की छूट दी गई है, लेकिन इस अवधि का ब्याज भी नहीं लिया गया तो बैंकों को दो लाख करोड़ रुपये का नुकसान होगा.
ईएमआई पर ब्याज लगाने के मामले में सुप्रीम कोर्ट ने RBI से सवाल किया कि क्या लॉक डाउन के दौरान ब्याज पर भी मोहलत दी जा सकती है? अदालत ने वित्त मंत्रालय और आरबीआई के अधिकारियों से तीन दिनों के भीतर संयुक्त बैठक कर ये तय करने को कहा है कि क्या 31 अगस्त तक ईएमआई पर दी गयी मोहलत के साथ ब्याज पर भी मोहलत दी जा सकती है? मामले में अगली सुनवाई 17 जून को होनी है. लेकिन सुप्रीम कोर्ट ने यह भी साफ किया कि वो ब्याज माफ करने के लिए नहीं टालने की बात कर रहा है. रहने दीजिए मीलॉर्ड ! आपसे न हो पाएगा।
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