'मास्टरस्ट्रोक' वाले मोदीजी को मास्टरब्लास्टर सचिन तेंदुलकर से सीखना चाहिए !
- कुश वैष्णव
ये तुलना नहीं है। मुझे लगता है सचिन से मोदी जी को सीखना चाहिए। सचिन करोडों लोगों की भावनाओं के हिसाब से अपना खेल नहीं खेलते। वे अपना बेहतरीन खेलने की कोशिश करते हैं जिससे करोड़ो लोग उन्हें पसंद करते हैं। ख़राब दौर सचिन का भी रहा है। गलतियाँ उनसे भी होती हैं लेकिन वे इसके लिए विरोधियों को दोष नहीं देते। मान लीजिए भारतीय टीम को जीतने के लिए 20 बॉल में 40 रन चाहिए और नौ खिलाड़ी आउट हो चुके हैं ऐसे में सचिन आउट हो जाते हैं। तो वो क्या कहेंगे? कि शोहेब अख़्तर तेज़ गेंद फेंक रहा है या ऑफ साइड में फील्डिंग सेट करके ऑफ में ही बॉल डाल रहा है या फिर ऑडियंस हूटिंग कर रही हैं।
मोदीजी की समस्या ये है कि जब भी वो आउट होते है बहाने बनाने लगते है। वामपंथी, विपक्ष पाकिस्तान, चीन, देशद्रोही एनजीओ जैसे राग अलापने लगते हैं। विरोधी तो विरोधियों वाला व्यवहार करेंगे ही, इसीलिए तो हमें मास्टर ब्लास्टर चाहिए। नोटबन्दी हो, अभिनंदन का पकड़ा जाना हो या कोरोना से निपटने में लापरवाही। IT सेल के माध्यम से हर बार दोषारोपण किया गया। नोटबन्दी पर विपक्ष को, अभिनंदन के पकड़े जाने पर खुद अभिनंदन की लापरवाही, कोरोना में जमात पर।
सचिन क्या ऐसा कहते हैं कि ब्रेट ली जब 80 की स्पीड से गेंद फेकेंगे तभी मैं सेंचुरी बनाऊंगा? मुश्किल परिस्थितियों में ही तो लीडर की पहचान होती है। जब सबकुछ आपके पक्ष में हो तब तो कोई साधारण व्यक्ति भी अच्छा कर सकता है। मास्टर ब्लास्टर की क्या ज़रूरत?
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