देश में कोरोना को लेकर उठने वाले हर सवाल को खारिज करने की इतनी जल्दबाजी क्यों है?
-गिरीश मालवीय
आखिर ऐसा क्यो होता है कि कोविड 19 पर उठते हुए हर प्रश्न को तुंरत खारिज कर दिया जाता है? क्या यह आपको आश्चर्य जनक नही लगता है कि दुनिया मे जैसे ही कोरोना वायरस का प्रसार शुरू हुआ कोविड-19 इंडिया डॉट ओआरजी जैसी वेबसाइट हर देश मे खड़ी हो गयी और ICMR जैसी सरकारी संस्थाओं से उनको डायरेक्ट एक्सेस मिल गया? हर कोविड हस्पताल की हर जिले की, हर राज्य की यानी क्षेत्रवार इतनी स्पेसिफिक रिपोर्ट दिए जाने का ढांचा कुछ ही दिनों में खड़ा कर दिया गया ओर सेंट्रलाइज्ड स्तर पर इतने शानदार ग्राफिक के साथ यह सभी को उपलब्ध हो गया ? और सब ऐसे ही हो गया ? यकायक?
यानी कि आप देखिए कि किसी बड़े देश मे कोई दुर्घटना हो जाती है तो केजुअल्टी के संबंध में स्थानीय अखबार कुछ बताता है वहाँ के अधिकारी की रिपोर्ट कुछ अलग होती है सरकार कुछ अलग डाटा बताती है लेकिन कोविड 19 के मामले में पूरी दुनिया मे केवल एक सरीखा डाटा चल रहा है वो भी बिल्कुल स्पेसिफिक ! ठीक है, ऐसा होता है कि थोड़ी घट बढ़ हो जाती है लेकिन अगले दिन सब मिलान हो जाता है। कम से कम भारत जैसे देश मे यह सब होना बहुत ही आश्चर्य जनक है।
मुझे याद है कि जब मैंने पहली कोविड-19 इंडिया डॉट ओआरजी जैसी साइट देखी थी तो मैं बिल्कुल हैरान रह गया था, ऐसा डाटा विश्लेषण ! इतनी डिटेलिंग ! ओर ऐसा प्रिपरेशन! ओर वो भी इतनी जल्दी! यानी कि जब देश मे कुछ सौ मामले ही आए थे मौतें भी बहुत कम थी तब इस लेवल की वेबसाइट का होना मेरे लिए विस्मयकारी घटना थी
ओर सबसे बड़ी बात तो यह कि ऐसा दुनिया के लगभग सभी कोरोना प्रभावित देशो में एकसाथ ? प्रतिदिन की रिपोर्ट का मिलना रीयल टाइम में ! खासकर सिर्फ उन देशों का ही डेटा जहाँ इंटरनेट की डाटा की अच्छी खासी उपलब्धता हो? कई अफ्रीकन कंट्रीज के तो आज भी डाटा नहीं है
ओर सबसे मजे की बात तो यह कि आप इस पर सवाल खड़े करो तो लोग आपको अफवाह फैलाने वाला ? कांस्पिरेसी थ्योरिस्ट ? जैसे तमगे से नवाज देते हैं !
लगता है कि जैसे कुछ सदियों पहले लोग धर्म से आतंकित थे वैसे ही आज लोग विज्ञान से आतंकित हो गए हैं आधुनिक युग मे धर्म पर सवाल उठाए गए, रीति रिवाजों पर ,मान्यताओं पर भी उठाए गए और अब समय आ गया है कि सवाल विज्ञान पर भी उठाए जाए और विज्ञान उन सवालों का जवाब देने में सक्षम है वो जवाब देगा भी पर आप कम से कम सवाल तो करे !
क्या ऐसा संभव नही है कि पुराने जमाने मे जो लोग धर्म के नाम आपकी हमारी जुबानों को बन्द कर देना चाहते थे वही लोग आज विज्ञान के नाम पर हमें खामोश कर देना चाहते हों, यानी वही ! मानव जीवन के हर पहलू पर नियंत्रण की चाह रखने वाले बेहद ताकतवर लोग!
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