भारत और भारतीयों के बारे में क्या सोचते हैं चीन के लोग?
- लक्ष्मण सिंह देव
पहली बात तो मैं यहां स्पष्ट कर दू कि चीन वास्तव में भारत का पड़ोसी देश नही है..चीन की स्थल सीमा अभी 14 देशों को स्पर्श करती है। भारत की मुख्य भूमि एवम चीन की मुख्य भूमि के बीच मे तिब्बत, अरुणाचल के प्रदेश रहे हैं।इसलिए कभी बड़े स्तर पर दोनों देशो की जनता के बीच मे सीधा कनेक्शन नही रहा। चीन की मुख्य भूमि युन्नान भारत से सबसे ज्यादा नजदीक है लेकिन अरुणाचल के जंगलों के कारण ऐतिहासिक रिश्ता नही रहा।
दक्षिणी रेशम मार्ग लीचियांग - चिटगांव- मणिपुर होते हुए गुजरता था। लेकिन यह मार्ग बहुत ही दुरूह था। जब हुयेन तसांग भारत आया तब चीन से भारत आने में डेढ़ - दो साल लगते थे। इसलिए दोनों देशों के नागरिकों के बीच मे ऐसी अंतःक्रिया नही रही जैसी भारत - ईरान या चीन कोरिया के बीच मे रही है। चीन के 2 दशक पहले एक राजदूत भारत मे पदस्थ थे, उन्होंने कहा कि पिछले ढाई हजार साल में सांस्कृतिक रूप से भारत ने चीन को बहुत प्रभावित किया है।
1962 के युद्ध के बारे में चीन के बहुत कम लोग जानते हैं। यह वहां के पाठ्यक्रम का भी हिस्सा नही है।जिन लोगो को पता है वो बोलते हैंकि यह एक झड़प थी न कि पूर्ण युद्ध।( वैसे1962 का युद्ध भारत की गलत नीति के कारण हुआ था क्योंकि आगे बढ़ने की नीति जारी रखी हुई थी और सीमाएं स्पस्ट नही थी, इस विषय मे ब्रुक हेंडरसन रिपोर्ट पढ़ी जा सकती है अगर कहीं से मिल सके तो) चीन के लोगो के लिए भारत, महात्मा बुद्ध की भूमि है जो चीन का सबसे बड़ा धर्म है।
चीन के लोग भारत को एक पिछड़ा देश मानते हैं जहां दंगे, फसाद होते रहते है ।( इसका कारण चीनी सरकारी मीडिया भी है जो भारत के बारे में केवल नकारात्मक खबर ही दिखाता है।) भारत के लोगो को चीनी होशियार समझते हैं। सुंदर पिचाई इत्यादि जैसे ग्लोबल आईटी लीडर के कारण। चीन के 5 करोड़ आप्रवासी पूरी दुनिया मे हैं तो भारत के 2 करोड़। बाहरी देशो में बसे सफल भारतीयों के कारण चीनियों की नजर में भारतीयों की अच्छी छवि बनी।
3 इडियट्स और दंगल जैसी फिल्में चीन में खूब चली है। और चीनी लोगो के लिए बंबइया फिल्में मनोरंजन का अच्छा स्रोत हैं। चीन में लोग जो ये फिल्में देखते हैं उन्हें ऐसा लगता है कि भारत के लोग खूब नाचते हैं और नाचना जानते हैं, जैसे हमे लगता है कि चीन के सभी लोग मार्शल आर्ट जानते हैं, हांगकांग की फिल्में देखकर।आम चीनी, भारत को अपना प्रतिद्वंदी देश नही मानते। सत्ता प्रतिष्ठान में बैठे, रक्षा विश्लेषक जरूर मानते हैं।
चीन का मीडिया भारत की छवि एक खराब, गरीब एवं अत्यंत पिछड़े देश के रूप में दर्शाता है। मेरे जितने भी परिचित चीनी भाषा के टूर ऑपरेटर भारत में कार्यरत हैं उनका कहना है कि चीनी पर्यटक, भारत आकर भौचक्के रह जाते हैं और बोलते हैं भारत तो बहुत अच्छा है, हम तो कुछ और ही सोच रहे थे, भारत का लोकतंत्र भी चीनियों के लिए लुभावना आकर्षण है।
दक्षिणी रेशम मार्ग लीचियांग - चिटगांव- मणिपुर होते हुए गुजरता था। लेकिन यह मार्ग बहुत ही दुरूह था। जब हुयेन तसांग भारत आया तब चीन से भारत आने में डेढ़ - दो साल लगते थे। इसलिए दोनों देशों के नागरिकों के बीच मे ऐसी अंतःक्रिया नही रही जैसी भारत - ईरान या चीन कोरिया के बीच मे रही है। चीन के 2 दशक पहले एक राजदूत भारत मे पदस्थ थे, उन्होंने कहा कि पिछले ढाई हजार साल में सांस्कृतिक रूप से भारत ने चीन को बहुत प्रभावित किया है।
1962 के युद्ध के बारे में चीन के बहुत कम लोग जानते हैं। यह वहां के पाठ्यक्रम का भी हिस्सा नही है।जिन लोगो को पता है वो बोलते हैंकि यह एक झड़प थी न कि पूर्ण युद्ध।( वैसे1962 का युद्ध भारत की गलत नीति के कारण हुआ था क्योंकि आगे बढ़ने की नीति जारी रखी हुई थी और सीमाएं स्पस्ट नही थी, इस विषय मे ब्रुक हेंडरसन रिपोर्ट पढ़ी जा सकती है अगर कहीं से मिल सके तो) चीन के लोगो के लिए भारत, महात्मा बुद्ध की भूमि है जो चीन का सबसे बड़ा धर्म है।
चीन के लोग भारत को एक पिछड़ा देश मानते हैं जहां दंगे, फसाद होते रहते है ।( इसका कारण चीनी सरकारी मीडिया भी है जो भारत के बारे में केवल नकारात्मक खबर ही दिखाता है।) भारत के लोगो को चीनी होशियार समझते हैं। सुंदर पिचाई इत्यादि जैसे ग्लोबल आईटी लीडर के कारण। चीन के 5 करोड़ आप्रवासी पूरी दुनिया मे हैं तो भारत के 2 करोड़। बाहरी देशो में बसे सफल भारतीयों के कारण चीनियों की नजर में भारतीयों की अच्छी छवि बनी।
3 इडियट्स और दंगल जैसी फिल्में चीन में खूब चली है। और चीनी लोगो के लिए बंबइया फिल्में मनोरंजन का अच्छा स्रोत हैं। चीन में लोग जो ये फिल्में देखते हैं उन्हें ऐसा लगता है कि भारत के लोग खूब नाचते हैं और नाचना जानते हैं, जैसे हमे लगता है कि चीन के सभी लोग मार्शल आर्ट जानते हैं, हांगकांग की फिल्में देखकर।आम चीनी, भारत को अपना प्रतिद्वंदी देश नही मानते। सत्ता प्रतिष्ठान में बैठे, रक्षा विश्लेषक जरूर मानते हैं।
चीन का मीडिया भारत की छवि एक खराब, गरीब एवं अत्यंत पिछड़े देश के रूप में दर्शाता है। मेरे जितने भी परिचित चीनी भाषा के टूर ऑपरेटर भारत में कार्यरत हैं उनका कहना है कि चीनी पर्यटक, भारत आकर भौचक्के रह जाते हैं और बोलते हैं भारत तो बहुत अच्छा है, हम तो कुछ और ही सोच रहे थे, भारत का लोकतंत्र भी चीनियों के लिए लुभावना आकर्षण है।
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