देश के 10 सर्वोच्च शिक्षण संस्थानों मेें एक बताई गई 'जियो युनिवर्सिटी' का क्या हुआ?
- हेमंत कुमार झा
बीते 19 जून को कोई "क्यू एस वर्ल्ड युनिवर्सिटी रैंकिंग-2020" जारी हुआ है। इसमें दुनिया के शीर्ष 200 विश्वविद्यालयों में भारत के तीन संस्थानों को जगह मिली है। आईआईटी,मुम्बई भारत में पहले स्थान पर है जबकि वैश्विक सूची में इसका स्थान 152वां है। आईआईटी, दिल्ली 182वें और इंडियन इंस्टीच्यूट ऑफ साइंस, बेंगलुरु 184वें स्थान पर है। शीर्ष 500 में भारत के कुल 23 संस्थान हैं।
कोई खास बात नहीं। ऐसी सूचियां जारी होती रहती हैं। कभी भारत के कुछ संस्थानों के नाम इनमें आ जाते हैं, कभी आने से रह जाते हैं। सूची खंगालने के दौरान मेरी चिन्ता दूसरी थी। मैं बेकरारी के साथ इस लंबी सूची में अपने अंबानी सर की 'जियो युनिवर्सिटी' का नाम तलाशता रहा।
'जियो युनिवर्सिटी'...याद है न? वही, जिसे देश के चुनिंदा 'एक्सेलेन्ट' शिक्षण संस्थानों में शुमार किया गया था। शायद टॉप टेन में। इनमें से प्रत्येक को 1000 करोड़ रुपये सरकार की ओर से देने की घोषणा भी हुई थी। अपनी जेनरल नॉलेज थोड़ी कमजोर है, तो...जब हमने जियो नामक युनिवर्सिटी को साहब द्वारा एक्सेलेन्ट घोषित होते देखा तो अफसोस हुआ कि पता नहीं, कब अवतार हुआ इस विलक्षण संस्थान का और हम जान तक नहीं सके।
संस्थान के शिलान्यास और उदघाटन के वक्त जरूर देवता गण पुष्पों की वर्षा कर रहे होंगे, दसों दिशाएं महक उठी होंगी और ऊपर कहीं मां सरस्वती की आंखों में गर्व और खुशी के आंसू होंगे कि चलो, अपनी भारत भूमि पर भी शैक्षणिक विलक्षणता का नया अध्याय शुरू हो रहा है। भले ही टॉप की युनिवर्सिटीज यूरोप, अमेरिका और चीन में हैं, लेकिन सरस्वती के भक्त तो हम ही हैं। माता कितनी खुश हुई होंगी!
हमने अपने एक पढ़े लिखे मित्र से पूछा कि इतना बड़ा युग प्रवर्त्तक अवतार हो गया और आपने बताया तक नहीं हमें। उन्होंने कहा कि अभी हुआ नहीं है, होने वाला है अवतार। हम सोचते रह गए। जो जन्मा ही नहीं वह महान कैसे घोषित हो गया? फिर...अपनी मिथकीय परंपरा और संस्कृति के अपने अल्प ज्ञान पर अफसोस होने लगा जब मित्र ने डांटा हमें..."पता नहीं है, त्रेता में अवतरित होने वाले राम के बारे में सतयुग में ही ऋषि-मुनि जानते थे, द्वापर में जन्मे कृष्ण के बारे में त्रेता युग में ही मनीषियों को पता था। हमारे साहब के थिंक टैंक में एक से एक टैलेंट है। उन्हें पता होगा कि अज्ञान के अंधकार का शमन करने 'जियो' नामक संस्थान कलियुग के इस अंतिम चरण में अवतरित होने वाला है। इसलिये, जन्म के पूर्व ही इसे एक्सेलेन्ट घोषित कर दिया।
अब वर्ल्ड रैंकिंग जारी करने वालों के पास भविष्य की आहट सुनने का वह टैलेंट कहाँ...सो...सूची में नाम नहीं जोड़ पाए। हालांकि, तमाम प्रयासों के बावजूद अभी तक पता नहीं लगा हमें कि वह अवतार हुआ या नहीं...या जियो जननी किसी ऋषि की दी हुई खीर या कोई फल आदि ही खा रही हैं अभी। बहरहाल, सूची के अनुसार दुनिया के टॉप 500 संस्थानों में भारत के जो 23 हैं, उनमें एक मात्र प्राइवेट संस्थान ओपी जिंदल युनिवर्सिटी है। बाकी 22 के 22 सरकारी हैं।
आश्चर्य लगा हमें। आखिर, 1991 से ही प्राइवेट संस्थानों को खुलने और लूट मचाने के लिये सरकारी प्रोत्साहन मिलता रहा है। पूंजी की कोई कमी नहीं, सस्ती दरों पर जमीन, अघा अघा कर लूट भी मचाई, लोग खुशी-खुशी लुटते भी रहे और इसके लिये गर्व भी महसूस करते रहे कि बबुआ के एडमिशन में इतने लाख लगे हैं...फिर भी 23 में 22 सरकारी ही?
जबकि, सरकारों ने कसम खा रखी है कि फैकल्टी के पद पूरे नहीं भरेंगे, सहयोगी स्टाफ की कमी से संस्थान प्रबंधन हलकान होते रहेंगे, फंड में कटौती दर कटौती जारी रखेंगे। तब भी...सरकारी संस्थानों की गुणवत्ता के सामने टिकने वाला एक भी प्राइवेट संस्थान खड़ा नहीं हो सका। इधर, बिहार में अपने नीतीश बाबू ने प्राइवेट विश्वविद्यालयों की स्थापना के लिये शर्त्तें इतनी आसान कर दी हैं कि जान कर उन पर प्यार उमड़ आया। इतनी उदारता...किसी का भी मन भर आये।
नीतीश जी की सरकार ने फरमान जारी किया कि प्राइवेट युनिवर्सिटी खोलने के लिये अगर जमीन नहीं मिल रही या भवन बनाने की पूंजी नहीं तो किराये के मकानों में भी यूनिवर्सिटी खोली जा सकती है। जैसे, किराये के मकान में हम किराना की दुकान खोलते हैं, कुछ दिन चलाते हैं, फिर खैनी-तमाखू के बिजनेस में उतरने का मन करता है तो दुकान बंद कर किसी दूसरी जगह शिफ्ट हो जाते हैं। कितना सिंपल है!
इस आदेश के जारी हुए शायद दो-तीन वर्ष गुजर चुके। जरूर एक से एक संस्थान खुल चुके होंगे बिहार में। हालांकि, जेनरल नॉलेज कमजोर रहने के कारण हमें नहीं पता कि कहां कहां क्या क्या खुला। कभी वैकेंसी आदि भी नहीं देखी। पता नहीं, कैसे किनको बहाल करते हैं ये लोग, कितना पैसा देते हैं, कब निकाल देते हैं। बहरहाल, अगर किन्हीं सज्जन को जियो युनिवर्सिटी के अवतार ले चुकने की प्रामाणिक जानकारी हो तो जरूर बताएं।
बीते 19 जून को कोई "क्यू एस वर्ल्ड युनिवर्सिटी रैंकिंग-2020" जारी हुआ है। इसमें दुनिया के शीर्ष 200 विश्वविद्यालयों में भारत के तीन संस्थानों को जगह मिली है। आईआईटी,मुम्बई भारत में पहले स्थान पर है जबकि वैश्विक सूची में इसका स्थान 152वां है। आईआईटी, दिल्ली 182वें और इंडियन इंस्टीच्यूट ऑफ साइंस, बेंगलुरु 184वें स्थान पर है। शीर्ष 500 में भारत के कुल 23 संस्थान हैं।
कोई खास बात नहीं। ऐसी सूचियां जारी होती रहती हैं। कभी भारत के कुछ संस्थानों के नाम इनमें आ जाते हैं, कभी आने से रह जाते हैं। सूची खंगालने के दौरान मेरी चिन्ता दूसरी थी। मैं बेकरारी के साथ इस लंबी सूची में अपने अंबानी सर की 'जियो युनिवर्सिटी' का नाम तलाशता रहा।
'जियो युनिवर्सिटी'...याद है न? वही, जिसे देश के चुनिंदा 'एक्सेलेन्ट' शिक्षण संस्थानों में शुमार किया गया था। शायद टॉप टेन में। इनमें से प्रत्येक को 1000 करोड़ रुपये सरकार की ओर से देने की घोषणा भी हुई थी। अपनी जेनरल नॉलेज थोड़ी कमजोर है, तो...जब हमने जियो नामक युनिवर्सिटी को साहब द्वारा एक्सेलेन्ट घोषित होते देखा तो अफसोस हुआ कि पता नहीं, कब अवतार हुआ इस विलक्षण संस्थान का और हम जान तक नहीं सके।
संस्थान के शिलान्यास और उदघाटन के वक्त जरूर देवता गण पुष्पों की वर्षा कर रहे होंगे, दसों दिशाएं महक उठी होंगी और ऊपर कहीं मां सरस्वती की आंखों में गर्व और खुशी के आंसू होंगे कि चलो, अपनी भारत भूमि पर भी शैक्षणिक विलक्षणता का नया अध्याय शुरू हो रहा है। भले ही टॉप की युनिवर्सिटीज यूरोप, अमेरिका और चीन में हैं, लेकिन सरस्वती के भक्त तो हम ही हैं। माता कितनी खुश हुई होंगी!
हमने अपने एक पढ़े लिखे मित्र से पूछा कि इतना बड़ा युग प्रवर्त्तक अवतार हो गया और आपने बताया तक नहीं हमें। उन्होंने कहा कि अभी हुआ नहीं है, होने वाला है अवतार। हम सोचते रह गए। जो जन्मा ही नहीं वह महान कैसे घोषित हो गया? फिर...अपनी मिथकीय परंपरा और संस्कृति के अपने अल्प ज्ञान पर अफसोस होने लगा जब मित्र ने डांटा हमें..."पता नहीं है, त्रेता में अवतरित होने वाले राम के बारे में सतयुग में ही ऋषि-मुनि जानते थे, द्वापर में जन्मे कृष्ण के बारे में त्रेता युग में ही मनीषियों को पता था। हमारे साहब के थिंक टैंक में एक से एक टैलेंट है। उन्हें पता होगा कि अज्ञान के अंधकार का शमन करने 'जियो' नामक संस्थान कलियुग के इस अंतिम चरण में अवतरित होने वाला है। इसलिये, जन्म के पूर्व ही इसे एक्सेलेन्ट घोषित कर दिया।
अब वर्ल्ड रैंकिंग जारी करने वालों के पास भविष्य की आहट सुनने का वह टैलेंट कहाँ...सो...सूची में नाम नहीं जोड़ पाए। हालांकि, तमाम प्रयासों के बावजूद अभी तक पता नहीं लगा हमें कि वह अवतार हुआ या नहीं...या जियो जननी किसी ऋषि की दी हुई खीर या कोई फल आदि ही खा रही हैं अभी। बहरहाल, सूची के अनुसार दुनिया के टॉप 500 संस्थानों में भारत के जो 23 हैं, उनमें एक मात्र प्राइवेट संस्थान ओपी जिंदल युनिवर्सिटी है। बाकी 22 के 22 सरकारी हैं।
आश्चर्य लगा हमें। आखिर, 1991 से ही प्राइवेट संस्थानों को खुलने और लूट मचाने के लिये सरकारी प्रोत्साहन मिलता रहा है। पूंजी की कोई कमी नहीं, सस्ती दरों पर जमीन, अघा अघा कर लूट भी मचाई, लोग खुशी-खुशी लुटते भी रहे और इसके लिये गर्व भी महसूस करते रहे कि बबुआ के एडमिशन में इतने लाख लगे हैं...फिर भी 23 में 22 सरकारी ही?
जबकि, सरकारों ने कसम खा रखी है कि फैकल्टी के पद पूरे नहीं भरेंगे, सहयोगी स्टाफ की कमी से संस्थान प्रबंधन हलकान होते रहेंगे, फंड में कटौती दर कटौती जारी रखेंगे। तब भी...सरकारी संस्थानों की गुणवत्ता के सामने टिकने वाला एक भी प्राइवेट संस्थान खड़ा नहीं हो सका। इधर, बिहार में अपने नीतीश बाबू ने प्राइवेट विश्वविद्यालयों की स्थापना के लिये शर्त्तें इतनी आसान कर दी हैं कि जान कर उन पर प्यार उमड़ आया। इतनी उदारता...किसी का भी मन भर आये।
नीतीश जी की सरकार ने फरमान जारी किया कि प्राइवेट युनिवर्सिटी खोलने के लिये अगर जमीन नहीं मिल रही या भवन बनाने की पूंजी नहीं तो किराये के मकानों में भी यूनिवर्सिटी खोली जा सकती है। जैसे, किराये के मकान में हम किराना की दुकान खोलते हैं, कुछ दिन चलाते हैं, फिर खैनी-तमाखू के बिजनेस में उतरने का मन करता है तो दुकान बंद कर किसी दूसरी जगह शिफ्ट हो जाते हैं। कितना सिंपल है!
इस आदेश के जारी हुए शायद दो-तीन वर्ष गुजर चुके। जरूर एक से एक संस्थान खुल चुके होंगे बिहार में। हालांकि, जेनरल नॉलेज कमजोर रहने के कारण हमें नहीं पता कि कहां कहां क्या क्या खुला। कभी वैकेंसी आदि भी नहीं देखी। पता नहीं, कैसे किनको बहाल करते हैं ये लोग, कितना पैसा देते हैं, कब निकाल देते हैं। बहरहाल, अगर किन्हीं सज्जन को जियो युनिवर्सिटी के अवतार ले चुकने की प्रामाणिक जानकारी हो तो जरूर बताएं।
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