Showing posts with label भारत-चीन. Show all posts
Showing posts with label भारत-चीन. Show all posts

Monday, July 13, 2020

Centre Asks PTI to Pay Over Rs 84 Crores Within a Month for ‘breaches’ in its Delhi office



New Delhi: The Land & Development Office, which comes under the Union Ministry of Housing and Urban Affairs, has sent a notice to news agency PTI, demanding it to cough up more than Rs 84 crore as penalty. The notice dated July 7 says that the penalty has been imposed due to "breaches" at its office in Delhi.

The notice that sought Rs 84,48,23,281 argues that "the less will be pleased to regularise the breaches in the premises temporarily up to 14.07.2020 and withdraw the right of re-entry of the premises subject to the following conditions being fulfilled by you within 30 days from the date of issue of this letter."

The notice also stipulates that the news agency needs to give an undertaking on non-judicial stamp paper stating that it will pay the difference of "misuse/damage charges" if the land rates are revised with effect from 01.04.2016 by the government and will also remove the "breaches" by 14.07.2020 or get them regularised by paying charges.

The notice also warns that further action to execute the deed has to be subject to complete payment and putting the premise to use according to the masterplan.

The Land & Development Office so warned that an additional 10 per cent interest may need to be coughed out by PTI if it fails to furnish the concerned amount within the stipulated time period.

Additionally, if the news agency fails to comply with the terms within the said period, the concession will be withdrawn. In other words, they will have to pay the penalty up to the actual date of payment then and will also be subject to actions.

This stern notice for alleged violations by PTI comes closely on the heels of national broadcaster Prasar Bharati locking horns with PTI over its reportage that it called "anti national".

Prasar Bharti had recently sent a letter threatening to end its "relationship" with PTI after it carried an interview of Chinese Ambassador Sun Weidong, where he blamed India for the India-China violent standoff that saw 20 Indian bravehearts getting martyred.

Sunday, July 12, 2020

भारत और भारतीयों के बारे में क्या सोचते हैं चीन के लोग?



- लक्ष्मण सिंह देव
पहली बात तो मैं यहां स्पष्ट कर दू कि चीन वास्तव में भारत का पड़ोसी देश नही है..चीन की स्थल सीमा अभी 14 देशों को स्पर्श करती है। भारत की मुख्य भूमि एवम चीन की मुख्य भूमि के बीच मे तिब्बत, अरुणाचल के प्रदेश रहे हैं।इसलिए कभी बड़े स्तर पर दोनों देशो की जनता के बीच मे सीधा कनेक्शन नही रहा। चीन की मुख्य भूमि युन्नान भारत से सबसे ज्यादा नजदीक है लेकिन अरुणाचल के जंगलों के कारण ऐतिहासिक रिश्ता नही रहा। 


दक्षिणी रेशम मार्ग लीचियांग - चिटगांव- मणिपुर होते हुए गुजरता था। लेकिन यह मार्ग बहुत ही दुरूह था। जब हुयेन तसांग भारत आया तब चीन से भारत आने में डेढ़ - दो साल लगते थे। इसलिए दोनों देशों के नागरिकों के बीच मे ऐसी अंतःक्रिया नही रही जैसी भारत - ईरान या चीन कोरिया के बीच मे रही है। चीन के 2 दशक पहले एक राजदूत भारत मे पदस्थ थे, उन्होंने कहा कि पिछले ढाई हजार साल में सांस्कृतिक रूप से भारत ने चीन को बहुत प्रभावित किया है। 

1962 के युद्ध के बारे में चीन के बहुत कम लोग जानते हैं। यह वहां के पाठ्यक्रम का भी हिस्सा नही है।जिन लोगो को पता है वो बोलते हैंकि यह एक झड़प थी न कि पूर्ण युद्ध।( वैसे1962 का युद्ध भारत की गलत नीति के कारण हुआ था क्योंकि आगे बढ़ने की नीति जारी रखी हुई थी और सीमाएं स्पस्ट नही थी, इस विषय मे ब्रुक हेंडरसन रिपोर्ट पढ़ी जा सकती है अगर कहीं से मिल सके तो) चीन के लोगो के लिए भारत, महात्मा बुद्ध की भूमि है जो चीन का सबसे बड़ा धर्म है। 

चीन के लोग भारत को एक पिछड़ा देश मानते हैं जहां दंगे, फसाद होते रहते है ।( इसका कारण चीनी सरकारी मीडिया भी है जो भारत के बारे में केवल नकारात्मक खबर ही दिखाता है।) भारत के लोगो को चीनी होशियार समझते हैं। सुंदर पिचाई इत्यादि जैसे ग्लोबल आईटी लीडर के कारण। चीन के 5 करोड़ आप्रवासी पूरी दुनिया मे हैं तो भारत के 2 करोड़। बाहरी देशो में बसे सफल भारतीयों के कारण चीनियों की नजर में भारतीयों की अच्छी छवि बनी। 

3 इडियट्स और दंगल जैसी फिल्में चीन में खूब चली है। और चीनी लोगो के लिए बंबइया फिल्में मनोरंजन का अच्छा स्रोत हैं। चीन में लोग जो ये फिल्में देखते हैं उन्हें ऐसा लगता है कि भारत के लोग खूब नाचते हैं और नाचना जानते हैं, जैसे हमे लगता है कि चीन के सभी लोग मार्शल आर्ट जानते हैं, हांगकांग की फिल्में देखकर।आम चीनी, भारत को अपना प्रतिद्वंदी देश नही मानते। सत्ता प्रतिष्ठान में बैठे, रक्षा विश्लेषक जरूर मानते हैं। 

चीन का मीडिया भारत की छवि एक खराब, गरीब एवं अत्यंत पिछड़े देश के रूप में दर्शाता है। मेरे जितने भी परिचित चीनी भाषा के टूर ऑपरेटर भारत में कार्यरत हैं उनका कहना है कि चीनी पर्यटक, भारत आकर भौचक्के रह जाते हैं और बोलते हैं भारत तो बहुत अच्छा है, हम तो कुछ और ही सोच रहे थे, भारत का लोकतंत्र भी चीनियों के लिए लुभावना आकर्षण है।

Friday, July 3, 2020

Tik Tok पर लंबे समय तक बैन मुश्किल, जिस चीज़ की ज़रूरत होती है उसे हटाया नहीं जा सकता !



- नितिन ठाकुर

टिकटोक के इंडिया हेड ने कल लिखा था कि उनकी कंपनी ने भारत में इंटरनेट का लोकतांत्रिकरण किया था. सच तो ये है कि बहुत लोग इस बात की गहराई को समझ नहीं पाएंगे और ना उसके असर को. चौदह भाषाओं और तीस करोड़ यूज़र्स के साथ टिकटोक ने अपने अनगढ़ कंटेंट क्रिएटर्स के दम पर तुलनात्मक रूप से नफ़ीस यूट्यूबर्स को जैसी टक्कर दी थी वो बता रहा है कि उसे लौटना ही है. ये सरल सा नियम है कि जिस चीज़ की ज़रूरत होती है उसे हटाया नहीं जा सकता. हटाएंगे तो स्पेस बनेगा लेकिन वो कैसे ना कैसे भरा ज़रूर जाएगा, फिर चाहे जिस रूप में भी. 


कैरी मिनाती बनाम टिकटोक वालों की बहस सिर्फ व्यूज़ पाने की होड़ नहीं थी बल्कि एलीट और सो कॉल्ड गंभीर क्रिएटर्स की उन लोगों से लड़ाई थी जिन्हें वो खुद से नीचे मानते रहे. अचानक इन क्रिएटर्स ने देखा कि टिकटोक पर पैरलल वर्ल्ड बन गया है और उस दुनिया के अपने सितारे हैं जो मुख्यधारा की मीडिया में जगह पाने लगे हैं, यूट्यूबर्स के मुकाबले बेहद जल्दी. अब तो हालत ये थी कि फिल्म इंडस्ट्री के बड़े नाम टिकटोक पर पहुंचकर उसे संभ्रांत वर्ग की वैधता प्रदान करने लगे थे और ये संभवत: अकेली चीज़ है जिसकी कमी टिकटोक महसूस करता होगा. 

टिकटोक की ही सिस्टर कंपनी है हैलो. वो फेसबुक की तरह काम करती है. अगर आप वहां टहलते तो पाते कि टिकटोक जैसे मूड वालों की भीड़ वहां भी है. उधर ट्विटर की तरह संगठित पीआर या ट्रेंड नहीं चलता, ना ही फेसबुक जैसी लंबी बहस हैं लेकिन नामी-ग़िरामी कंपनियां उसकी ताकत पहचान गई थीं, नतीजतन सभी के एकाउंट बन चुके थे. मीडिया वालों को तो अपना सामान बेचने के लिए ख़ासा ट्रैफिक मिलने भी लगा था. एकाउंट वैरिफिकेशन ज़रा आसान है इसलिए उस ख़ास निशान की चाह रखनेवालों ने भी हैलो पर डेरा जमाया. 

दोनों कंपनियों की मालिक बाइटडांस नाम की कंपनी का हिंदुस्तान को लेकर विज़न लंबा-चौड़ा है और मैं मान ही नहीं सकता कि एक झोंक में उठाए किसी कदम से वो निराश होकर लौटेगी. चीनियों को पता है कि धंधा कैसे होता है. उनके टारगेट पर जैसी भीड़ है वो असल हिंदुस्तान बनाती है, व्यूज़ के मामले में उसकी ताकत वोट जैसी है जहां हर कोई एक है. यही वो अकेली चीज़ है जिसके बलबूते विज्ञापन का धंधा फलता-फूलता है. कल-परसों तक खुद डेटा चोरी के आरोप झेल रही सरकार ने अचानक वही इल्ज़ाम लगाकर जिन्हें बैन किया है वो जानते हैं कि देर सवेर वापसी होकर रहेगी. फेसबुक के ख़िलाफ तो डेटा बेचने के सबूत थे. जिस देश में उसने ये किया वहां वो खुद को बैन से बचा ले गई. अमेरिका, ब्रिटेन या बाकी यूरोप में डेटा को लेकर एक समझदारी है जो भारत में पनपी भी नहीं इसलिए डेटा वाले आरोपों को कोई गंभीर से नहीं लेगा. 

कंपनी के दफ्तर गुड़गांव से लेकर मुंबई में हैं. पिछले दिनों कई मीडिया वालों ने वहां करियर शुरू किया था. जो ऐसी कंपनियों के अंदरूनी कामकाज से परिचित हैं वो जानते हैं कि चीनी लोग कंपनी के रोज़मर्रा वाले कामों में गहरा दखल रखते हैं. अपने भारतीय सहकर्मियों से बेहतर तालमेल के लिए वो अपने भारतीय नाम रखते हैं. भारत की भाषाएं सीखते हैं. 

ऐसी कंपनियों को हराना उतना आसान नहीं है, तब तो कतई नहीं जब वो चीन जैसे चालाक देश की वृहद रणनीति का हिस्सा बनकर आई हों. ये केवल पैसा नहीं बटोरते बल्कि लोगों का मानस बदलते हैं. जितनी मुझे जानकारी है तो कंपनी जल्द ही एक गंभीर न्यूज़ प्लेटफॉर्म खोलने वाली था या खोलेगी और टिकटोक-हैलो की रीच का इस्तेमाल कंटेंट फैलाने में करेगी. जो भीड़ इन दोनों जगहों पर बिना ये जाने अब तक सक्रिय थी कि कंपनी चीनी है, क्या आप उससे उम्मीद करते हैं कि वो इन्हीं जगहों से आई ख़बर को पढ़कर फिल्टर कर सकेगा कि ये समाचार प्रो-चाइना है? भारत में उस लेवल की ग्राहक जागरुकता बस सपना है. चीन से तनातनी के दौरान सरकार ने बैन लगाया है, और यही वजह है कि इन प्लेटफॉर्म्स से दिन रात चिपके रहनेवाले भी कोई विरोध नहीं कर पाए. 

आम दिनों में अगर सरकार ने ये किया होता तो विमर्श के कई कोण देखे जाते. जिन टिकटोकियों ने यूट्यूबर्स को आतंकित कर दिया था, क्या आपको लगता है कि वो चुप रहते? ये लोग रोज़ वीडियोज़ डाल डालकर धान बो देते. पूरे हिंंदुस्तान में फैले अपने प्रशंसकों को बताते कि डेटा चोरी के नाम पर कैसे उनकी रोज़ी रोटी छीनी जा रही है, और तब यही चीनी मज़े में बैठते कि कैसे उन्होंने देश के लोगों को उनकी सरकार से लड़वा दिया है. सच तो ये है कि मोबाइल बेचनेवाली चीनी कंपनियां हों या सॉफ्टवेयर बेचनेवाले, सभी अपनी सरकार की योजना के हिस्से हैं. ये माननेकी कोई वजह नहीं है कि अगर जिनपिंग ने चाहा तो तमाम कंपनियां उन्हें हर डेटा उपलब्ध नहीं कराएँगी. कंपनियों के मालिक जानते हैं कि अपनी सरकार की सेवा करके ही वो दूसरे देशों में सुरक्षित हैं. चीन में लोकतंत्र भी नहीं कि अमेरिका-ब्रिटेन की तरह कहीं सुनवाई हो जाएगी.

भारत की सरकार अब भी ऐप्स पर हमलावर है ना कि मोबाइल कंपनियों पर जो डेटा चोरी में अधिक माहिर हैं, क्योंकि भारत में उनका निवेश पुराना और अधिक है. इसके अलावा वो ताकतवर बहुत हैं. उनकी गहरी घुसपैठ है. सरकारी ठेकों में वो बोली लगाते हैं सो अनुमान लगाना कठिन नहीं कि राजनीति और नौकरशाही में इनका हस्तक्षेप कैसा होगा. अगर वाकई सरकार सरहद वाले झगड़े के बदले से आगे बढ़कर डेटा चोरी के मसले पर कुछ करना चाहती है तो इन चीनी कंपनियों के मोबाइलों को भी बैन करे , और फिर टिकटोक से लेकर मोबाइल तक ऐसे विकल्प उपलब्ध कराने को लेकर सोचे कि स्पेस भर जाए. 


सस्ती दरों पर माल उपलब्ध कराना ही एकमात्र रास्ता होगा जिसके बारे में मुझे निजी तौर पर लगता है अभी हमें चीनियों के बराबर आने में समय लगेगा. चीन से टक्कर में हमेशा प्रतिक्रियात्मक और तात्कालिक उपाय काम नहीं आएंगे. वो पचास सालों में इस तरफ बढ़े हैं और हम असली ख़तरे को समझने के बजाय गलवान की घाटी में उलझे हैं. गलवान से बाहर ख़तरे और भी बड़े हैं. चीन को गलवान में तो रोका ही जाना चाहिए, देश के भीतर भी उसकी पकड़ कमज़ोर करना ज़रूरी है लेकिन आहिस्ते से और सोच समझकर.

Monday, June 29, 2020

लोकल के लिए वोकल बनो: देश की लोकल मोबाइल कंपनियों का क्या हुआ?



-गिरीश मालवीय
कल यह खबर खूब चर्चा में रही कि पीएम केयर्स में चीनी मोबाइल कंपनियों ने बढ़ चढ़कर चंदा दिया है इस बात से मुझे याद आया कि अपने देश की लोकल मोबाइल कंपनियों का क्या हुआ? जिन्हें शार्ट फार्म में MILK कहा जाता था यानी इन कंपनियों के नाम के पहले अक्षर : माइक्रोमैक्स, इंटेक्स, लावा और कार्बन. 'लोकल के लिए वोकल बनो' यह हमारे प्रधानमंत्री कह रहे हैं पर वे ये बताए कि माइक्रोमैक्स कंपनी जो  2015-16 में भारतीय मार्केट में इतना अच्छा परफार्मेंस दे रही थी आज वो कम्पनी कहा है ?

आज आपको चीनी मोबाइल कंपनी  Xiaomi-10 करोड़, Huawei- 7 करोड़, One Plus-1 करोड़, Oppo-1 करोड़  पीएम केयर्स में दे रही है तो उन्हें आपने कुछ एक्स्ट्रा हेल्प की होगी तभी तो दे रही है मोबाइल इंडस्ट्री के जानकार लोगो को पता है कि दरअसल देश मे दो बड़े चाइनीज ग्रुप ने भारत के लगभग पूरे स्मार्टफोन मार्केट को कब्जे में कर लिया 2019 में भारत के 72 फीसद स्मार्टफोन बाजार पर चीनी ब्रांड का दबदबा रहा। सालभर पहले इसका स्तर 60 फीसद था। इसमें से अकेले 37 फीसद बाजार पर बीबीके ग्रुप का कब्जा है। ओप्पो, वीवो, रीयलमी और वनप्लस ब्रांड की मूल कंपनी बीबीके ही है। इसकी प्रतिद्वंद्वी कंपनी श्याओमी अपने रेडमी और पोको ब्रांड के साथ 28 फीसद बाजार पर काबिज है।

कूलपैड पहले माइक्रो मैक्स को सपोर्ट करती थीं लेकिन अब वह खुद भारतीय मार्केट में उतर गई है साल 2017-18 तक भारतीय मोबाइल बाजार में घरेलू कंपनी माइक्रोमैक्स की अच्छी-खासी पकड़ थी। लोग माइक्रोमैक्स के फीचर से लेकर स्मार्टफोन तक खरीदते थे, लेकिन बाद में चाइनीज कंपनियों के दबदबे के बाद माइक्रोमैक्स बाहर हो गया , इंटेक्स, लावा और कार्बन भी मार्केट से आउट हो गयी, तब भी हमारे लोकल के लिए वोकल बनो कहने वाले प्रधानमंत्री ही गद्दी पर बैठे थे अब लगभग चारो बड़ी कम्पनिया स्मार्टफोन मार्केट से गायब हो गयी है इसका जिम्मेदार कौन हैं बताइये? और स्मार्टफोन तो छोड़िए फीचर फोन मार्केट से भी धीरे धीरे भारतीय कम्पनिया बाहर हो रही हैं। 


फीचर फोन बाजार में भी चीनी कंपनियां तेजी से अपनी स्थिति मजबूत कर रही हैं। जनवरी-मार्च 2019 में इन कंपनियों की फीचर फोन बाजार में हिस्सेदारी महज 17 फीसदी थी लेकिन इस साल की समान अवधि में यह बढ़कर 33 फीसदी पर जा पहुंची है। यह हालत कर दी है भारत के मोबाइल मार्केट की हैशटैग #vocalforlocal का अभियान चलाने वालों ने ! अब जिसको पीछे से असली सपोर्ट मिल रहा है वो तो पीएम केयर्स में चंदा देगा ही न !

TikTok, Helo, UC Browser, WeChat among 59 Chinese Apps banned in India



New Delhi (VOM News) : Citing privacy concerns, the government on Monday decided to ban at least 59 Chinese mobile apps. The list includes popular social media applications like TikTok. The government has called for banning of SHAREit, US Browser, Helo, Mi COmmunity, Baidu map, Club Factory, WeChat, UC News, Weibo, and others. The Centre has decided to disallow the usage of these apps both in mobile and non-mobile internet-enabled devices.


"The Ministry of Information Technology, invoking it’s power under section 69A of the Information Technology Act read with the relevant provisions of the Information Technology (Procedure and Safeguards for Blocking of Access of Information by Public) Rules 2009 and in view of the emergent nature of threats has decided to block 59 apps since in view of information available they are engaged in activities which is prejudicial to sovereignty and integrity of India, defence of India, security of state and public order," the press release said.

Over the last few years, India has emerged as a leading innvator when it comes to technological advancements and a primary market in the digital space. At the same time, there have been concerns relating to data security and safe-guarding the privacy of 130 crore Indians, the Union ministry of electronics & IT said in a press release today.


The ministry of information and technology has received "many representations raising concerns from citizens regarding security of data and risk to privacy relating to operation of certain apps," according to the press release. "The Computer Emergency Response Team has also received many representations from citizens regarding security of data and breach of privacy impacting upon public order issues," the press release read.

This decision came amid the India-China clash at the borders. Tensions on the Indo-China border have spiked after 20 troops, including an Indian commanding officer, were killed in the face-off in Galwan valley.

Full list of the 59 China-linked Apps that Indian govt has banned



1. TikTok
2. Shareit
3. Kwai
4. UC Browser
5. Baidu map
6. Shein
7. Clash of Kings
8. DU battery saver
9. Helo
10. Likee
11. YouCam makeup
12. Mi Community
13. CM Browers
14. Virus Cleaner
15. APUS Browser
16. ROMWE
17. Club Factory
18. Newsdog
19. Beutry Plus
20. WeChat
21. UC News
22. QQ Mail
23. Weibo
24. Xender
25. QQ Music
26. QQ Newsfeed
27. Bigo Live
28. SelfieCity
29. Mail Master
30. Parallel Space
31. Mi Video Call - Xiaomi
32. WeSync
33. ES File Explorer
34. Viva Video - QU Video Inc
35. Meitu 
36. Vigo Video
37. New Video Status
38. DU Recorder
39. Vault- Hide
40. Cache Cleaner DU App studio
41. DU Cleaner
42. DU Browser
43. Hago Play With New Friends
44. Cam Scanner
45. Clean Master - Cheetah Mobile
46. Wonder Camera
47. Photo Wonder
48. QQ Player
49. We Meet
50. Sweet Selfie
51. Baidu Translate
52. Vmate
53. QQ International
54. QQ Security Center
55. QQ Launcher
56. U Video
57. V fly Status Video
58. Mobile Legends
59. DU Privacy